चेहरे पर मुस्कान लाएं-तनाव से मुक्ति पाएं| face smile

चेहरे पर मुस्कान लाएं-तनाव से मुक्ति पाएं

Smile on face

चेहरे पर मुस्कान लाएं-तनाव से मुक्ति पाएं

 

चेहरे पर मुस्कान लाएं-तनाव से मुक्ति पाएं


कभी आपने महसूस किया है कि आप कितने भी तनाव में हैं, यदि कोई आपको अजीबो-गरीब चुटकला सुनाकर हंसादे या फिर गुदगुदी ही कर दे तो आपका तनाव कुछ देर के लिये ही सही, छूमंतर हो जाता है। और तनाव ही क्यों, आपकी सब किस्म की नैगेटिव सोच ही खत्म हो जाती है? यदि नहीं किया तो प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या? आज और अभी मुस्कुरा के देख लें, प्रमाण स्वयं ही मिल जाएगा।


दोस्तों, काउंसलिंग सेशंस के दौरान जब भी मेरा कोई क्लाइंट तनाव की समस्या से जूझ रहा होता है और अपनी बात ठीक से नहीं कह पाता, तो बस मैं उसे हंसने का प्यारा सा व्यायाम करा देती हूं और उसका तनाव गायब! यह केवल मेरा ही अनुभव नहीं है, बल्कि साईंस ने यह सिद्ध किया है कि 'मुस्कुराने से हमारा मूड बेहतर होता है, तनाव कम होता है और यही नहीं हमारा इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है और लाईफ-स्पैन भी बढ़ता है।


स्माईल से हमारे मस्तिष्क में ज़बरदस्त कैमिकल परिवर्तन होता है : आपको लगता होगा कि मैं कैसी उल्टी बातें कर रही हूं। मन में खुशी होगी तभी मुस्कुराहट मुख पर आएगी। पर न्यूरोलॉजिस्ट्स की मानें तो स्माईल करते ही हमारे मस्तिष्क में एक बहुत ज़बरदस्त कैमिकल परिवर्तन होता है, जिससे हम प्रसन्नता महसूस करते हैं। मनोविज्ञानिकों के अनुसार, जब हम स्माइल करते हैं तो तनाव से लडऩे के लिये हमारे मस्तिष्क से न्यूरोपेप्टाइडस नामक मॉलीक्यूल्स निकलते हैं। फिर डोपामाइन, सेरोटाोनिन व एन्डोरफिन्स आदि न्यूरोपेप्टाइडस भी अपनी-अपनी भूमिका निभाने में गतिशील हो जाते हैं। इनमें से एन्डोरफिन्स पीड़ा को कम करता है, जबकि सेरोटाोनिन एन्टी-डिप्रेशन है। यहां तक कि बनावटी और ज़बरदस्ती से दी गई मुस्कान भी तनाव को कम कर हार्ट रेट को कम कर देती है। इसके विपरीत चेहरे पर त्योरियां होने की स्थिति में डोपामाइन व सेरोटाोनिन दोनों ही का स्तर कम हो जाने से ये डिप्रेशन बढ़ाने का काम करते हैं।

                 बिना डांट-फटकार के बच्चों से होमवर्क कराइये 


जब तक आपकी मुस्कान स्वाभाविक ना बनें, बनावटी ही मुस्काएं : चाहे बनावटी मुस्कान ही सही, यह भी हमारे मस्तिष्क को ऐसा विश्वास करने पर विवश कर देती है कि हम खुश हैं। यही नहीं, ई एन टी विशेषज्ञ डॉ. मर्रे ग्रोसन साइको-न्यूरो-इम्यूनॉलॉजिस्ट का मानना है कि, डिप्रेशन हमारे इम्यून-सिस्टम को क्षीण कर देता है जबकि प्रसन्नता और मुस्कुराहट हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।


आप कह सकते हैं कि बनावटी तौर पर ही मुस्कुराने की एक छोटी सी प्रक्रिया से हमारी इम्नुनिटी पर कैसे अंतर पड़ सकता है? परंतु डॉक्टर मानते हैं कि 'मस्तिष्क को स्वाभाविक या बनावटी मुस्कान से कोई अंतर नहीं पड़ता, क्योंकि जब आप मुस्काते हैं तो मस्त्ष्कि केवल यह देखता है कि आप मुस्कुरा रहे हैं, अत: आप खुश हैं।


आप शायद नहीं जानते कि कुछ डैंटल या किसी कास्मेटिकल सर्जरी या बोटोक्स इंजेक्शन के कारण यदि कोई इंसान त्योरियां ही ना चढ़ा पाए तो वे उन नार्मल लोगों से औसतन ज्यादा खुश पाए गए जो त्योरियां चढ़ा पाते हैं।


दोस्तों, वोकल एप पर सैंकड़ों प्रश्न तनाव कम करने या नकारात्मक सोच पर नियंत्रण पाने के उपायों बारे होते हैं। उनके लिये मेरा छोटा सा जवाब होता है कि, 'मुस्कुराना सीखो, स्वाभाविक मुस्कान नहीं आती तो याद करके मुस्काएं। और मुस्कुराहट चली जाए तो फिर खुद को याद दिलाएं और मुस्काएं। बिना बात के भी मुस्काएं। बस मुस्कुराने की आदत ही डाल लें, इतनी आदत कि हर पल आपके मुखमंडल पर मुस्कान रहे। लोग आपको मुस्कराते चेहरे के रूप में याद रखें।


मुस्कान में अनोखI जादु है : आप पूछना चाहेंगें कि मुस्कान में ऐसा क्या जादू है? तो हाथ कंगन को आरसी क्या? अभी मुस्कुरा कर देख लें, ना तनाव रहेगा, ना कोई नकारात्मक सोच! और जब आप हर समय मुस्कुराने की आदत डाल लेंगें व इसे अपना स्वभाव ही बना लेंगे, तो तनाव और नैगेटिव सोच तो आपके आस-पास टिक ही नहीं सकती।


मुस्कुराहट हर पल कार्य करती है: आप सुबह सवेरे भ्रमण करते हुए लोगों के चहरे को निहारें तो आपको कई हंसते-मुस्काते चेहरे नजऱ आते होंगे। उनसे आप पूछें तो आपको यही सुनने को मिलेगा कि उन्हें तनाव या तो नहीं ही होता, या फिर बहुत जल्दी समाप्त हो जाता है। एक सज्जन ने मुझे बताया कि, मुस्कराने मात्र से ही उसके सोचने व महसूस करने के तरीके में अंतर पड़ जाता है। आप प्राणायाम एवं मेडिटेशन करते समय मुस्कराकर करें तो आप खुद महसूस करेंगे कि आपका तनाव और नैगेटिव सोच सब छूमूंतर हो गया। मैं स्वयं योग, प्राणायाम, सैर और मेडिटेशन करते समय मुस्काने पर ज़ोर देती हूं और हर पल शांति व गहन शांति का ही मीठा-मीठा अहसास होता है।


मुस्कराने की आदत आपके हर कार्य, नौकरी व बिजऩेस में सुधार और इजाफा ही करेगी : मुस्कराने से आप अपने व अपने क्लाइंट्स, अपने कर्मचारी साथियों और पारिवारिक व दोस्ती के रिश्तों में अनोखी मधुरता ला सकते हैं। आप खुद ही याद करके देखें, कभी किसी दुकानदार या किसी ऑफिस में कर्मचारी सड़े हुए मूड में आपसे बात करे तो आपको कैसा लगता है, और क्या आप दोबारा उससे कोई संपर्क रखना चाहेंगें? नहीं ना! कितनी बार ऐसा होता है कि बस में चढ़े और कंडक्टर ने सड़े मूड से पूछा, कित जागी (कहां जाएगी)? तो दोबारा कभी उस बस में चढऩे का ही मन नहीं होगा। लेकिन जब कभी अमरीका में बस सवारी का अवसर मिले, तो कंडक्टर व ड्राइवर दोनों ही बड़े प्यार व अदब से आते-जाते अभिवादन करते हैं, अब आप स्वयं ही अनुमान लगा लें कि किसे ज्यादा याद रखेंगे हम? निसंदेह ही अमरीकन कंडक्टर व ड्राइवर को। इसी तरह दुकान में कोई दुकानदार त्योरियां चढ़ाकर बात करेगा तो उसकी दुकान से क्यों कोई सामान लेगा? तो देखा आपने जब ग्राहक ही नहीं तो कैसी दुकान और कैसा बिजऩेस? इसलिये अपना व्यापार व बिजऩेस बढ़ाने के लिये भी मुस्काना बेहद ज़रूरी है।


तो दोस्तों, यदि आप आश्वस्त हो गए हों कि मुस्कुराहट का जादु कैसे बढ़-चढ़कर बोलता है, कैसे आपका तनाव भगाता है, कैसे आपकी व्यर्थ में सोचने की आदत को कम करता है और कैसे आपके रिश्तों में मिठास लाता है, तो आज ही और अभी से मुस्कुराने की आदत डालना शुरु कर दें। याद रहे कि यह आदत तभी पड़ेगी जब आप हर पल सचेत रहेंगे कि आपको मुस्काना है, चाहे बनावटी ही सही, धीरे-धीरे आपको वास्तव में मुस्काने की आदत हो जाएगी।


डॉ. स्वतन्त्र जैन
मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता